OROP 3 योजना के तहत सेना के जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) की पेंशन
Today we will discuss important information about the pension of a Junior Commissioned Officer (JCO) of the Army under OROP 3. As you know, the main objective of the One Rank One Pension Scheme is to ensure equal pensions to the ex-servicemen of the country based on their service.
This scheme was first implemented in 2015 and now the third amendment i.e. OROP 3 has come, in which the pension of military personnel including JCO and other ranks has been changed. So let us know in detail about the changes in JCO pension under OROP 3.
आज हम बात करेंगे OROP 3 के तहत सेना के जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) की पेंशन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में। जैसा कि आप जानते हैं, वन रैंक वन पेंशन योजना का मुख्य उद्देश्य देश के पूर्व सैनिकों की सेवा के आधार पर समान पेंशन सुनिश्चित करना है। यह योजना सबसे पहले 2015 में लागू की गई थी और अब तीसरा संशोधन यानी OROP 3 आ गया है, जिसमें JCO समेत अन्य रैंक के सैन्य कर्मियों की पेंशन में बदलाव किया गया है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं OROP 3 के तहत JCO की पेंशन में हुए बदलावों के बारे में।
OROP योजना की जरूरत क्यों पड़ी?
OROP का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि एक ही रैंक और समान सेवा अवधि वाले सभी पूर्व सैनिकों को एक समान पेंशन मिले, चाहे उन्होंने सेवा किसी भी समय छोड़ी हो। इससे पहले, पेंशन की गणना उस समय की सैलरी संरचना के आधार पर की जाती थी, जब सैनिक ने सेवा से निवृत्ति ली थी, जिसके कारण पुराने समय के सैनिकों को नए रिटायर हुए सैनिकों से कम पेंशन मिलती थी। इसे ठीक करने के लिए ही OROP योजना को लागू किया गया था।
OROP 3 में संशोधन
OROP 3 के तहत, JCO के पेंशन स्ट्रक्चर में भी महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। सरकार ने सेना के हजारों पूर्व सैनिकों की मांगों को ध्यान में रखते हुए इस योजना को फिर से अपडेट किया है। OROP 3 के तहत JCO की पेंशन के आंकड़े Table 7 और 8 में दिए गए हैं, जो विभिन्न रैंक और सेवा अवधि के आधार पर अलग-अलग होते हैं।
JCO की रैंक और सेवा अवधि के अनुसार पेंशन
JCO की पेंशन उनके रैंक और सेवा अवधि के आधार पर तय की जाती है। उदाहरण के लिए, नायब सूबेदार, सूबेदार, और सूबेदार मेजर की पेंशन अलग-अलग होती है, और इसके साथ ही उनकी सेवा अवधि भी पेंशन राशि को प्रभावित करती है। OROP 3 के तहत, पेंशन की गणना निम्नलिखित ढांचे के आधार पर की जाती है:
1. नायब सूबेदार: लगभग 15 से 20 साल की सेवा के आधार पर नायब सूबेदार की पेंशन ₹30,000 से ₹40,000 तक होती है।
2. सूबेदार: 20 से 26 साल की सेवा के आधार पर सूबेदार की पेंशन लगभग ₹40,000 से ₹50,000 तक हो सकती है।
3.सूबेदार मेजर: 26 से अधिक साल की सेवा पर सूबेदार मेजर की पेंशन ₹50,000 से ₹60,000 तक हो सकती है।
OROP 3 में कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ भी जोड़ी गई हैं:
पेंशन में वार्षिक वृद्धि: OROP 3 के तहत, पेंशनधारकों को समय-समय पर पेंशन में वृद्धि मिलती रहेगी, जिससे महंगाई और अन्य आर्थिक पहलुओं को संतुलित किया जा सके।
समय-समय पर पुन:गणना: पेंशन की गणना हर 5 साल में दोबारा की जाएगी, जिससे सभी पूर्व सैनिकों को सही पेंशन मिले।
समानता सुनिश्चित करना: OROP 3 में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि नए और पुराने सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों को समान लाभ मिल सके।
निष्कर्ष
दोस्तों, OROP 3 के तहत JCO की पेंशन में किए गए सुधार से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि देश के सभी पूर्व सैनिक, विशेष रूप से JCO रैंक वाले सैनिक, समान पेंशन का लाभ उठा सकें। यह योजना न केवल आर्थिक रूप से उनकी मदद करती है, बल्कि उनके द्वारा देश के लिए की गई सेवा का सही सम्मान भी है। धन्यवाद!
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