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कविता : ना जाने, Maoji Bundi #reels #shortsvideo
ना जाने क्या हुआ
कलयुग का बोलाबाल हुआ
सच कों सब नें दबाया है
झूठ कों सब नें अपनाया है
राम के आदर्श कों भूल
सब ने रावण के कुरकर्म कों अपनाया है
कृष्ण की महिमा भूल
सब नें कंस के अवतार कों अपनाया है
ईमानदारी कों भूल सब नें भष्ट्राचारी कों अपनाया है
ना जाने कलयुग क्या
लाया है?
जहाँ प्रेम की सुधा बहती थी,
जहाँ अमृत - सी वाणी थी
जहाँ हनुमान सा हृदय था
जहाँ हर जगह प्रेम का संगम था
जहाँ शिव का आशीर्वाद था
वहाँ अंधकार आया है
गद्दारी, लोभ, आंतक का
भय उभर के आया है
आज का दौर कलयुग कहलाया है
आज बेईमान विशाल है
झूठ आस है
अहंकार सबकी काया है
आज हर जगह कलयुग छाया है
ना जाने यह कलयुग क्या लाया है?
प्रेम, माया, मोह
सब कों मिटाया है
भाईचारे के संदेश कों
सब नें भुलाया है
द्वेष, हिंसा, अपराध कों
सब नें हर पथ पर
सब नें गला दबाया है
इसलिए आज का युग
कलयुग कहलाया है।
धन्यवाद : काजल साह : स्वरचित
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