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Swami Vivekananda (1863–1902) jivani in Hindi || Speech by Kajal Sah || Kolkata. Swami Vivekananda (1863–1902) is best known in the United States for his groundbreaking speech to the 1893 World's Parliament of Religions in which he introduced Hinduism to America and called for religious tolerance and an end to fanaticism.
“Be Grateful to the man you help, think of Him as God. Is it not a great privilege to be allowed to worship God by helping our fellow men.”
Is Vivekananda a freedom fighter?
Is Swami Vivekananda a freedom fighter or not? YES. Swami Vivekananda was a freedom fighter in the real sense of the term. He fought for the freedom of his soul from repeated births and deaths.
Swami Vivekanand popular Indian masses, Influence on notable Indian people. Vivekananda, after he became a "sanyasi of high intellect, action, and devotion" in 1886, had a deep desire to spread the message of “divine unity of existence and unity in diversity throughout the country.
Swami Vivekananda says about Bhagavad Gita:
The Inner Voice carried an article apropos of World Cup football quoting Swami Vivekananda's well-known observation: “You will be nearer to heaven playing football than studying the Bhagavad-Gita.” Quite a few people may be baffled by this remark.
Religion is a swami:
Swami (Sanskrit: स्वामी svāmī sometimes abbreviated SW.) in Hinduism, is an honorific title given to a male or female ascetic who has chosen the path of renunciation (sannyāsa) or has been initiated into a religious monastic order of Vaishnavas.
Vivekananda a socialist:
Vivekananda was by far the first in India to call himself a socialist. In his remarkable pamphlet “I am a Socialist”, he did not quite preach an armed struggle between the classes but surely, advocated a complete fusion of all classes and castes.
स्वामी विवेकानन्द (जन्म: 12 जनवरी,1863 – मृत्यु: 4 जुलाई,1902) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का वेदान्त अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा।
उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत ” मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों ” के साथ करने के लिए जाना जाता है । उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।
स्वामी विवेकानंद का जीवनवृत्त
स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कलकत्ता में हुआ था। इनका बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ था। इनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनके पिता पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढर्रे पर चलाना चाहते थे। इनकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी देवीजी धार्मिक विचारों की महिला थीं।
उनका अधिकांश समय भगवान् शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे पहले ‘ब्रह्म समाज’ में गये किन्तु वहाँ उनके चित्त को सन्तोष नहीं हुआ। वे वेदान्त और योग को पश्चिम संस्कृति में प्रचलित करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देना चाहते थे।
दैवयोग से विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। घर का भार नरेन्द्र पर आ पड़ा। घर की दशा बहुत खराब थी। अत्यन्त दर्रिद्रता में भी नरेन्द्र बड़े अतिथि-सेवी थे। स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते, स्वयं बाहर वर्षा में रात भर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते।
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