निराश और नकरात्मक सोच कभी भी मनुष्य को आगे बढ़ने नही देता है: ©Provided by Bodopress/Kajal Sah, Kolkata |
निराश और नकरात्मक सोच कभी भी मनुष्य को आगे बढ़ने नही देता है, और मानव जीवन के असली व्यक्तित्व को मिटा देता है। इसलिए जीवन में निराश होकर नकरात्मक सोच की ओर नहीं बढ़ना चाहिए। जब जीवन में हम मेहनत को अपना सच्चा मित्र और अपनी हिम्मत को अपने जीवन का सच्चा मार्ग मान लेते है, तब हम कभी भी वो पथ पर नहीं जाते है, जिसे हमारे व्यक्तित्व को ठेस पहुंचे।
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आज मानव अपने जीवन में निराश को ही सच्चा मित्र मान बैठा है, क्युकि अगर हम कोई राह पर हार जाते है तब हम निराश होकर अपने जीवन को नकारात्मक में व्यतीत करने लगते है। यह नहीं सोचते है कि अगर जीवन में हार आता है, तो वो हमें निराश करने नहीं है और एक बार फिर हमें कहता है, तू एक बार फिर कोशिश कर और उस काम में तू अपना 100% दे तब मैं जरूर ही तेरे जीवन से चला जाऊंगा, फिर तेरे जीवन में सफल की जीत और सकरात्मक सोच की विजय आएगी। यही बात हमें समझने की आवश्यकता है कि हार हमें निराश नहीं एक और फिर से कोशिश करना सीखलाता है।
अगर हम स्वयं पर विश्वास और अपने कार्य में 100% देने का प्रयास आज से ही शुरू कर देते तो हमारे जीवन से निराश और नकरात्मक सोच आज से ही चली जायेगी।
**जीवन की उड़ान**
धन्यवाद : काजल साह : स्वरचित
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