BJP will need reasons not to retain Sonowal as CM in Assam(File Photo):©Provided by Bodopress/Karan Singh |
May 3, 2021: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने असम में सत्ता बरकरार रखी, 2 मई को घोषित विधानसभा चुनाव परिणामों के मताबिक । 'महाजोत' विपक्षी गठबंधन से लड़ते हुए भाजपा ने 60 सीटें जीतीं। इसके सहयोगी असोम गण परिषद (AGP) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी, लिबरल (UPPL) ने क्रमशः 9 और 6 सीटें जीतीं । असम के 126 सदस्यों वाली विधान सभा में बहुमत का निशान 64 था ।
विपक्षी गठबंधन के मुख्य घटक कांग्रेस 29 सीटें जीतने में कामयाब रही। इसके सहयोगी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट BPF ने क्रमशः 16, 1 और 4 सीटें जीतीं ।
कांग्रेस के लगातार तीन कार्यकाल के शासन को समाप्त करने के बाद, जब पार्टी ने पहली बार राज्य में जीत हासिल की थी, तब से भाजपा के नेता सर्बानंद सोनोवाल 2016 के बाद से असम के मुख्यमंत्री रहे हैं। सोनोवाल ने 2 मई को परिणाम स्पष्ट होने के बाद ट्वीट कर कहा, मैं असम की जनता को भारी जनादेश के लिए नमन करता हूं और विकास यात्रा जारी रखने का वादा करता हूं ।
हालांकि इस जीत के साथ ही भाजपा के लिए शायद सिरदर्द शुरू हो गया है। पार्टी को अब यह तय करने की जरूरत है कि हमारी सरकार ने पीएम @narendramodi जी के नेतृत्व में जो नीतियां चलाई हैं, वे राज्य की अगली मुख्यमंत्री होगें हैं ।
पार्टी ने सोनोवाल और सरमा के संयुक्त नेतृत्व में प्रभावी ढंग से चुनाव लड़ा। हालांकि दोनों के बीच संबंध काफी हद तक सौहार्दपूर्ण बने हुए हैं, लेकिन राज्य इकाई के भीतर सत्ता संघर्ष की खबरें आ रही हैं और कहा जा रहा है कि भाजपा इस मामले पर कड़ा कदम उठाया जा रहा है ।
सोनोवाल ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष थे। बाद में वह अगप में शामिल हो गए और 2011 तक पार्टी के साथ रहे, जब वह भाजपा में कूद पड़े। 2016 में असम के मुख्यमंत्री का पदभार संभालने से पहले सोनोवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री थे।
दूसरी ओर सरमा 2015 तक कांग्रेस के साथ थे। वह तरुण गोगोई की राज्य सरकार में मंत्री थे और उन्होंने वित्त, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और सार्वजनिक कार्यों जैसे प्रमुख विभागों को संभाला था ।
सरमा ने राज्य सरकार में बड़ी भूमिका के लिए अपने प्रस्ताव को कथित तौर पर ठुकरा देने के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी । लेकिन जब तक सरमा भाजपा में शामिल हुए, सोनोवाल को पहले ही अनधिकृत रूप से 2015 के अंत में पार्टी के CM चेहरे के रूप में पेश किया जा चुका था ।
2016 चुनावों के बाद सरमा को सोनोवाल कैबिनेट में शामिल किया गया और अन्य विभागों के अलावा वित्त, स्वास्थ्य और शिक्षा का प्रभार दिया गया । विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने भी दिया।
फिर भी राजनीतिक जानकार बताते हैं कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर नहीं होने पर गौर करें तो सोनोवाल को मुख्यमंत्री पद पर नहीं बनाए रखने के लिए भाजपा को भी कारणों की जरूरत होगी। सोनोवाल ने भी अपनी माजुली सीट बरकरार रखी।
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